विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर का गुम्बद बुधवार को पूर्णतया स्वर्ण आच्छादित हो गया। गुम्बद पर स्वर्ण परत चढ़ाने का कार्य थाईलैंड से आए कारीगरों ने काफी बारीकी से इंजीनियर व विशेषज्ञ की देखरेख में 15 दिनों में पूरा किया।
कार्य की निगरानी के लिए थाईलैंड के पूर्व वाणिज्य मंत्री प्री छार व थाई राजा के धार्मिक मामलों के सलाहकार बौद्ध भिक्षु बोधगया प्रवास पर रहे। मंदिर के गुम्बद को स्वर्णाच्छादित करने के लिए थाईलैंड के राजा भूमिबोल अतुल्यतेज व वहां के बौद्ध श्रद्धालुओं ने दान दिया था।
थाईलैंड से 290 किग्रा सोना गत 11 नवम्बर को थाई एयरवेज की विशेष विमान से कड़ी सुरक्षा के बीच गया इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लाया गया था। जिसे बोधगया लाकर महाबोधि मंदिर के प्रथम तल पर स्थित कक्ष में थाई कमांडो व बिहार पुलिस की सुरक्षा घेरे में रखा गया था। 170 फीट ऊंचे महाबोधि मंदिर के प्राचीन गुम्बद को पूर्णतया स्वर्णाच्छादित करने का कार्य 12 नवम्बर से आरंभ हुआ था। इसकी निगरानी के लिए 23 थाई कमांडो के अलावे ढ़ाई सौ बिहार पुलिस के जवानों की तैनाती की गई थी।
मंदिर के शीर्ष तक किए गए लोहे के बैरिकेटिंग के सहारे श्वेत वस्त्रधारी कारीगर व इंजीनियर व बौद्ध भिक्षु गुम्बद के शीर्ष तक पहुंचकर कार्य को अंजाम दिया करते थे। बुधवार की दोपहर कार्य को अंतिम रूप देकर सभी उपर से नीचे उतरे। उसके बाद लोहे के बैरिकेटिंग खोलने का कार्य भी शुरू हो गया।
महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के भिक्षु प्रभारी भंते चालिंदा व केयरटेकर भंते दीनानंद ने बताया कि अब बोधगया आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को महाबोधि मंदिर और आकर्षित करेगा। मंगलवार को मंदिर के साइट मैनेजमेंट प्लान को लेकर आयोजित बैठक के उपरांत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी प्लान तैयार करने वाली एजेंसी से जुड़े लोग भी कार्य का निरीक्षण मंदिर के शीर्ष पर चढ़कर किए थे। उन्होंने कहा कि कार्य समाप्ति के पश्चात थाईलैंड से आए चार कार्यकर्ता बुधवार को स्वदेश वापस लौट गए।
No comments:
Post a Comment