लंबी खींचतान और ड्रामे के बाद टीएमसी के सभी छह मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया. अब कुछ ही देर में ये सभी मंत्री राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलकर सरकार से समर्थन वापसी की भी चिट्ठी सौंप देंगे.
ग़ौरतलब है कि एलपीजी और डीजल के दाम बढ़ाने और रिटेल में एफडीआई की मंजूरी के खिलाफ ममता और सरकार के बीच तनातनी की शुरुआत हुई जो टीएमसी की सरकार से विदाई के साथ ही अंत की ओर बढ़ रही है.
ममता की मांग थी कि सरकार बढ़े दाम वापस ले और रिटेल में एफडीआई को रद्द करे, लेकिन सरकार ने ऐसा करने से मना कर दिया, जिससे नाराज़ ममता ने सरकार से समर्थन वापसी का फैसला किया, जिसे आज अंजाम तक पहुंचाया गया.
सरकार से टीएमसी के हटने के बाद यूपीए-2 को कोई खतरा तो नहीं है, लेकिन मुश्किल का सामना है. हालांकि कांग्रेस पार्टी का साफ कहना है कि उसके कई मित्र हैं और सरकार को कोई खतरा नहीं है.
यूपीए-2 में कांग्रेस के बाद टीएमसी सबसे बड़ा घटक दल था. टीएमसी के 19 सांसद हैं, जबकि यूपीए-2 में इस कोटे से छह मंत्री थे. जिसमें रेल जैसा भारी भरकम महकमा भी टीएमसी के पास था.

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