बोधगया स्थित विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल महाबोधि मंदिर के गुंबद पर सोना लगाया जाएगा. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) ने इसकी मंजूरी दे दी है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि एक बौद्ध धर्मावलंबी की इच्छा को एएसआई ने कुछ शतरें के साथ मंजूरी दे दी है. विश्व धरोहर होने के कारण ऐसे किसी भी कार्य के पहले एएसआई से अनुमति लेना आवश्यक होता है. एएसआई इस प्राचीन मंदिर की देखरेख भी करती है.
महात्मा बुद्ध को बोधगया के बोधिवृक्ष के नीचे तपस्या करने के दौरान ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इस वजह से इसे 'ज्ञानस्थली' भी कहा जाता है. बोधिवृक्ष महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित है. कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने सबसे पहले यहां एक छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया था. महाबोधि मंदिर का निर्माण पांचवीं से छठी शताब्दी के बीच कराया गया था.
गौरतलब है कि वर्ष 2002 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने इस मंदिर परिसर को विश्व धरोहर घोषित किया था.
प्रतिवर्ष यहां लाखों देशी एवं विदेशी पर्यटक आते हैं. पिछले महीने महाबोधि मंदिर परिसर और इसके आसपास के इलाके में श्रंखलाबद्ध विस्फोट हुए थे.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि एक बौद्ध धर्मावलंबी की इच्छा को एएसआई ने कुछ शतरें के साथ मंजूरी दे दी है. विश्व धरोहर होने के कारण ऐसे किसी भी कार्य के पहले एएसआई से अनुमति लेना आवश्यक होता है. एएसआई इस प्राचीन मंदिर की देखरेख भी करती है.
महात्मा बुद्ध को बोधगया के बोधिवृक्ष के नीचे तपस्या करने के दौरान ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इस वजह से इसे 'ज्ञानस्थली' भी कहा जाता है. बोधिवृक्ष महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित है. कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने सबसे पहले यहां एक छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया था. महाबोधि मंदिर का निर्माण पांचवीं से छठी शताब्दी के बीच कराया गया था.
गौरतलब है कि वर्ष 2002 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने इस मंदिर परिसर को विश्व धरोहर घोषित किया था.
प्रतिवर्ष यहां लाखों देशी एवं विदेशी पर्यटक आते हैं. पिछले महीने महाबोधि मंदिर परिसर और इसके आसपास के इलाके में श्रंखलाबद्ध विस्फोट हुए थे.
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